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NPS से UPS में बदलने पर क्या पड़ेगा असर, DA को जोड़कर कितनी मिलेगी पेंशन, जानें

NPS से UPS में बदलने पर क्या पड़ेगा असर | केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन देने की योजना की घोषणा की है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम ( Unified Pension Scheme ) से जुड़ने वाले कर्मचारी को कम से कम 10 साल की सेवा के बाद न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी। इसके साथ ही महंगाई राहत दर ( Dearness Allowance ) और अन्य भत्ते भी जोड़े जाएंगे, जिससे कर्मचारी को न्यूनतम 15,000 रुपये तक की पेंशन मिलना सुनिश्चित होगा। नई पेंशन योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी ।

NPS से UPS में बदलने पर क्या पड़ेगा असर

सरकार ने इस योजना में न्यूनतम पेंशन राशि का स्पष्ट प्रावधान किया है। इससे सातवें वेतन आयोग ( 7th Pay Commission ) के पे बैंड 5200 रुपये से 20,200 रुपये तक के न्यूनतम मूल वेतन वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर बड़ी राहत मिलेगी।

इस पे-बैंड में न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये और 19,900 रुपये है। कर्मचारी का कार्य वर्ष चाहे जो भी हो, उसकी पेंशन की न्यूनतम राशि 10,000 रुपये से कम नहीं होगी। पेंशन राशि को मुद्रास्फीति सूचकांक से जोड़ा गया है। पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन महंगाई राहत दर ( Dearness Allowance ) के आधार पर निर्धारित की जाएगी।

कर्मचारी का 10% अंशदान जारी रहेगा

यूपीएस अंशदायी रहेगा यानी कर्मचारियों को एनपीएस ( National Pension System ) की तर्ज पर यहां भी अपने मूल वेतन का 10% अंशदान करना होगा। हालांकि, सरकार ने यूपीएस ( Unified Pension Scheme ) में कर्मचारियों को राहत दी है और अतिरिक्त अंशदान में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।

वहीं, एनपीएस में सरकार 14% अंशदान करती है, जिसे यूपीएस में बढ़ाकर 18.5% कर दिया गया है। यानी इस योजना में कर्मचारी और सरकार का कुल 28.5% अंशदान हर महीने जमा होगा। सरकार द्वारा दिए जाने वाले अंशदान की हर तीन साल में समीक्षा की जाएगी।

कौन जुड़ सकता है यूपीएस से

सरकार के मुताबिक, 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए कर्मचारियों को यूपीएस ( Unified Pension Scheme ) में शामिल होने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, जिन कर्मचारियों ने एनपीएस को अपनाया है और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, वे भी इसे अपना सकते हैं।

ऐसे कर्मचारियों को एनपीएस ( National Pension System ) फंड की राशि समायोजित करने के बाद पेंशन मिलेगी। अगर कोई बकाया है तो सरकार उसे ब्याज सहित चुकाएगी।

सिर्फ एक पेंशन योजना चुन सकेंगे

सरकार ने कर्मचारियों के लिए एनपीएस ( NPS ) और यूपीएस ( UPS ) दोनों विकल्प खुले रखे हैं। कर्मचारी अपने लाभ की गणना करके इनमें से सिर्फ एक चुन सकते हैं। सरकार 31 मार्च 2024 से पहले एक एकीकृत पोर्टल तैयार करेगी, जिसके जरिए कर्मचारी एनपीएस या यूपीएस में से किसी एक को चुन सकेंगे। एक बार विकल्प चुनने के बाद उसे बदला नहीं जा सकेगा।

एनपीएस से यूपीएस में जाने पर क्या होगा

कर्मचारियों को NPS और UPS में से किसी एक को चुनने का विकल्प मिलेगा। अगर कोई कर्मचारी एनपीएस से यूपीएस में आता है तो उसे रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी मिलेगी। एनपीएस में इसका कोई विकल्प नहीं है।

वहीं यूपीएस ( Unified Pension Scheme ) में कर्मचारी को 30 साल की सेवा के लिए रिटायरमेंट पर छह महीने का वेतन एकमुश्त भुगतान के रूप में अलग से मिलेगा।

एनपीएस  ( National Pension System ) में कर्मचारी को कुल पेंशन फंड से एकमुश्त राशि का 60 फीसदी मिलता है। बाकी 40 फीसदी राशि से पेंशन प्लान अनिवार्य रूप से खरीदना होता है। इसमें पेंशन की राशि शेयर बाजार से होने वाले मुनाफे पर निर्भर करती है। इसके विपरीत यूपीएस में सरकार इस जोखिम को कम करते हुए न्यूनतम पेंशन की गारंटी सुनिश्चित कर रही है।

वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को करना होगा इंतजार

नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ( VRS ) लेने वाले कर्मचारी भी यूपीएस का विकल्प चुन सकते हैं, लेकिन उनके लिए 25 साल की सेवा का प्रावधान लागू होगा। इसका मतलब है कि उन्हें 60 साल की उम्र तक इंतजार करना होगा। इसके बाद वे यूपीएस से जुड़ सकेंगे, लेकिन इस दौरान उन्हें अन्य सुविधाएं मिलती रहेंगी।

कर छूट के नियम जल्द

फिलहाल NPS में योगदान करने वाले कर्मचारी सेक्शन 80 सीसीडी (1) के तहत वेतन (Basic + DA ) के 10% तक कर कटौती के पात्र हैं, जो सेक्शन 80 सीसीई के तहत 1.50 लाख रुपये की कुल सीमा के भीतर है।

वे 1.50 लाख रुपये की कुल सीमा के अलावा ₹50,000 तक की कटौती का लाभ भी उठा सकते हैं। हालांकि यूपीएस के तहत कर छूट के नियम अभी अधिसूचित नहीं किए गए हैं। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इन्हें जारी कर सकती है।

ऐसे होगी पेंशन की गणना

अगर कर्मचारी ने 25 साल तक सेवा की है तो उसके अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीने के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में दिया जाएगा। अगर सेवा अवधि 10 से 25 साल के बीच है तो पेंशन राशि आनुपातिक आवंटन के आधार पर तय की जाएगी। साथ ही इसमें महंगाई राहत दर ( Dearness Allowance ) भी जोड़ी जाएगी। फिलहाल रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए डीआर 50 फीसदी है।

25 साल की सेवा पर :- अगर कर्मचारी का औसत मूल वेतन 50,000 रुपये है तो इसका 50 फीसदी 25,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन होगी। इसमें डीआर अलग से दिया जाएगा।

15 वर्ष की सेवा पर :- 25 वर्ष की बजाय 15 वर्ष की सेवा का अनुपात = 15/25

पेंशन होगी :- 25,000X15/25 = 15,000 रुपये + डीआर

10 वर्ष की सेवा पर :- 25 वर्ष की बजाय 10 वर्ष की सेवा का अनुपात = 10/25

पेंशन होगी :-  25,000X10/25 = 10,000 रुपये + डीआर

नई योजना में दिक्कत

  •  UPS में पूरी पेंशन पाने के लिए न्यूनतम 25 साल की सेवा पूरी करनी होगी। अगर रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है तो 35 साल की उम्र तक सरकारी नौकरी जॉइन करनी होगी, अन्यथा पेंशन राशि की गणना आनुपातिक आवंटन के अनुसार होगी।
  •  पुरानी पेंशन व्यवस्था ( Old Pension Scheme ) में कर्मचारी को उसके आखिरी पूरे वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर मिलता है, जबकि यूपीएस में पिछले 12 महीने के औसत बेसिक वेतन के आधार पर पेंशन मिलेगी।
  •  ओपीएस में पेंशन राशि टैक्स फ्री होती है, जो यूपीएस में नहीं होगी। फिलहाल इसका लाभ सिर्फ उन्हीं सरकारी कर्मचारियों को मिल रहा है, जिन्होंने 1 जनवरी 2004 से पहले नौकरी जॉइन की है।
  •  सरकारी नौकरी में कई बार कर्मचारियों को आखिरी वक्त तक प्रमोशन मिल जाता है, जिससे उनका आखिरी वेतन ज्यादा होता है। ओपीएस में पेंशन की गणना आखिरी पूरे वेतन पर होती थी, लेकिन यूपीएस में यह लाभ नहीं मिलेगा।

कर्मचारी संगठनों की आपत्ति

यूपीएस ( UPS ) पर कुछ कर्मचारी संगठनों ने भी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि हमारी मांग थी कि रिटायरमेंट पर बेसिक सैलरी और डीए ( DA ) के 50 फीसदी के बराबर पेंशन दी जाए।

साथ ही जीपीएफ की तरह रिटायरमेंट पर हमारा पैसा हमें वापस किया जाए, लेकिन नई व्यवस्था में सरकार वह सारा पैसा ले लेगी। यानी 10 फीसदी कर्मचारियों का और 18.5 फीसदी अपना। कर्मचारियों को उनके अंशदान के सिर्फ छह महीने के बराबर एकमुश्त राशि मिलेगी। ऐसे में एनपीएस, यूपीएस से बेहतर होगा ।

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