EPFO सदस्यों के लिए मोदी सरकार का तोहफ़ा : अगर आप नौकरीपेशा हैं और EPFO के सदस्य भी हैं तो यह खबर आपके काम की है। जी हां, EPFO कर्मचारियों की सुविधा को लेकर लगातार काम कर रहा है। इसी क्रम में केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने घोषणा की कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( Employees’ Provident Fund Organization ) इस साल जून तक एक नया सॉफ्टवेयर सिस्टम EPFO 3.0 लॉन्च करेगा। उन्होंने बताया कि नया सिस्टम बैंकिंग सिस्टम की तरह काम करेगा और इसकी वेबसाइट ज्यादा यूजर फ्रेंडली होगी।
EPFO सदस्यों के लिए मोदी सरकार का तोहफ़ा
किसी भी आपात स्थिति में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( Employees’ Provident Fund Organization ) सदस्य एक तय सीमा तक पैसे निकाल सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि EPFO 3.0 लॉन्च होने के बाद EPFO सदस्यों को ATM कार्ड दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि IT सिस्टम 2.01 के तहत वेबसाइट और सिस्टम को अपग्रेड करने का पहला चरण जनवरी 2025 के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद नाम में गलती या किसी अन्य कारण से PF खाते से पैसे निकालने में कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने दावा किया कि मई-जून तक ईपीएफओ का पूरा सिस्टम बैंक की तरह काम करने लगेगा।
अब EPFO का डाटा केंद्रीकृत किया जा रहा है
आईटी सिस्टम 2.01 के तहत ईपीएफओ का सारा डाटा केंद्रीकृत किया जा रहा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अभी पीएफ खाताधारकों को पैसा निकालने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन सिस्टम अपग्रेड होने के बाद नाम में गलती, आधार और बैंक खाता नंबर अपडेट न होना और पुरानी कंपनी का पीएफ ट्रांसफर न होने जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। सिस्टम अपग्रेड होने के बाद पीएफ निकासी समेत कई तरह के काम आसानी से हो जाएंगे। इसके बाद गलतियों को पकड़ने और उन्हें सही करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
EPFO सदस्यों के लिए मोदी सरकार का तोहफ़ा
देश में बेरोजगारी बढ़ने के विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए मंडाविया ने दावा किया कि यूपीए सरकार के मुकाबले एनडीए सरकार में रोजगार बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश में पिछले 10 साल में रोजगार 36 फीसदी बढ़कर 2023-24 में 64.33 करोड़ हो गया है। जबकि 2014-15 में यह 47.15 करोड़ था।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 के बीच रोजगार में करीब 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 के बीच सिर्फ 2.9 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा हुईं, जबकि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत 2014-24 के बीच 17.19 करोड़ नौकरियां जुड़ीं।
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