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काटने के बाद सेब का रंग क्यों बदलने लगता है? जानें GK In Hindi

GK In Hindi General Knowledge | हममें से ज़्यादातर लोग जानते हैं कि सेब को काटने पर उसका रंग बदल जाता है और वह भूरा हो जाता है। सेब के काटने के बाद उसका रंग बदलने के पीछे एक पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया है। दरअसल, भूरेपन की यह प्रतिक्रिया फल में मौजूद फेनोलिक यौगिकों के ऑक्सीकरण के कारण आती है।

काटने के बाद सेब का रंग क्यों बदलने लगता है | GK In Hindi

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आपने भी देखा होगा कि आलू, सेब, बैंगन जैसे कई फल और सब्ज़ियाँ काटने के बाद रंग बदलने लगते हैं। ये जितने ज़्यादा समय तक खुले में रहते हैं, इनका रंग उतना ही गहरा होता जाता है।

इसके पीछे लोगों के मन में आम धारणा यह है कि फलों या सब्ज़ियों में पाए जाने वाले आयरन की वजह से उनका रंग भूरा होने लगता है, जो कि बिल्कुल गलत है। अगर इस धारणा को देखें तो अनार को काटने के बाद काला हो जाना चाहिए, जिसमें आयरन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं होता। तो कटे हुए फल और सब्ज़ियों के भूरे होने की क्या वजह है, आइए जानते हैं।

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काटने के बाद सेब का रंग रासायनिक परिवर्तनों के कारण बदलता है। काटने के बाद सेब का रंग क्यों बदलता है? रासायनिक परिवर्तन वह परिवर्तन है जो तब होता है जब एक पदार्थ दूसरे पदार्थ के साथ मिलकर एक नया पदार्थ बनाता है।

काटने के बाद रासायनिक परिवर्तन के कारण कुछ समय बाद एक ताजा सेब भूरा हो जाता है। जब एक सेब काटा जाता है, तो हवा से ऑक्सीजन उसके संपर्क में आती है और तेजी से फेनोलिक्स को ऑक्सीकृत करती है। भूरे सेब खाने के लिए सुरक्षित हैं। फलों में खरोंच एंजाइमेटिक ब्राउनिंग के कारण होती है।

सेब काटने के बाद रंग क्यों बदलते हैं?

यह प्रक्रिया पॉलीफेनोल ऑक्सीडेज नामक एक एंजाइम की क्रिया के कारण होती है, जो सामान्य रूप से कई पौधों के ऊतकों में पाया जाता है। जब आप एक सेब काटते हैं, तो कुछ कोशिकाएँ भी खुल जाती हैं। यह एंजाइम तब हवा में मौजूद ऑक्सीजन तक पहुँच जाता है और सेब के भूरे होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

यह एंजाइमेटिक ब्राउनिंग ( Enzymatic Browning ) नामक जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला के कारण होता है। यह पॉलीफेनोल ऑक्सीडेज (PPO) नामक एंजाइम के कारण होता है। यह नए रसायन (ओ-क्विनोन) जारी करता है, जो बाद में अमीनो एसिड के साथ भूरे रंग के मेलेनिन का उत्पादन करते हैं।

Enzymatic Browning क्या है?

एंजाइमेटिक ब्राउनिंग एक ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया है जो कुछ खाद्य पदार्थों, ज्यादातर फलों और सब्जियों में होती है, जिससे वे भूरे हो जाते हैं। दरअसल, हवा में ऑक्सीजन होती है और फलों की कोशिकाओं में फिनोल और एंजाइम फिनोलेज पाए जाते हैं और जब वे हवा में ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं, तो एक प्रतिक्रिया होती है, जिसमें फिनोलेज फिनोल को मेलेनिन में बदल देता है, जिसका रंग भूरा होता है |

इसकी वजह से फलों और सब्जियों का रंग भूरा होने लगता है | इस प्रक्रिया को एंजाइमेटिक ब्राउनिंग कहते हैं. आपको बता दें कि मेलेनिन एक पिगमेंट है, यही पिगमेंट इंसान के बाल, त्वचा और आंखों के रंग के लिए भी जिम्मेदार होता है |

भूरापन रोकने के उपाय – General Knowledge

पानी में रखें: सब्जियों को काटकर पानी में भिगोकर इस प्रक्रिया को रोका जा सकता है. हालांकि, फलों के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ऐसा करने से फल बेस्वाद हो जाएंगे | लेकिन आलू के लिए यह उपाय हर घर में इस्तेमाल किया जाता है |

इसे तुरंत डिब्बे में बंद कर दें: इसे काटकर डिब्बे में बंद करके इस प्रक्रिया को रोका जा सकता है. लेकिन यह थोड़ा भूरा हो जाता है. क्योंकि हवा हर जगह होती है और डिब्बे में भी थोड़ी हवा होती है, जो प्रतिक्रिया का कारण बनती है |

एल्युमिनियम फॉयल में लपेटकर रखें: फलों और सब्जियों को एल्युमिनियम फॉयल में लपेटकर उनका ब्राउन होना कुछ हद तक रोका जा सकता है। लेकिन इस प्रक्रिया को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है और यह महंगा भी पड़ सकता है।

नींबू या सिरके का इस्तेमाल: नींबू या सिरका एंजाइमेटिक ब्राउनिंग में बाधा डालता है, जिसके कारण यह प्रक्रिया नहीं हो पाती। हालांकि, इससे फलों और सब्जियों दोनों का स्वाद प्रभावित होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल आम तौर पर नहीं किया जा सकता। इस तरह के प्रश्न अक्सर GK In Hindi General Knowledge के अंतर्गत पूछे जाते है |

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