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भेड़ के बाल-ऊन का बिजनेस : बिहार की उस महिला की कहानी, जिसकी 20 लाख की है आमदनी

Sheep Wool business | बिहार की रहने वाली पूनम कुमारी ऊन के कारोबार से अपनी सफलता की कहानी लिख रही हैं। वह सालाना करीब 20 लाख कमा रही हैं। भेड़ के ऊन से वह कई तरह के उत्पाद बना रही हैं। वह गोबर के उपलों से भी हजारों कमा रही हैं। पढ़िए उनकी सफलता की कहानी।

भेड़ के बाल-ऊन का बिजनेस

‘भेड़ पालन एक ऐसा व्यवसाय ( Business ) है जो बकरी पालन की तुलना में किसानों को हर तरफ से मुनाफा देता है। लेकिन राज्य सरकार इस क्षेत्र पर खास ध्यान नहीं दे रही है। जिसके कारण लोग बड़े पैमाने पर भेड़ पालन से दूरी बना रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो भेड़ का ऊन खरीदने के बाद भी उससे कंबल और धागा तैयार करने के लिए मुझे दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।’

सिलाई मशीन की आवाज के साथ भेड़ के ऊन ( Wool ) से डोरमैट तैयार कर रही पटना की पूनम कुमारी ने किसान तक से यह बात कही। वह कहती हैं, दो दशक पहले फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद मैंने कई क्षेत्रों में काम किया। लेकिन भेड़ के ऊन से जुड़ा प्रोजेक्ट बनाने के बाद ही मेरे सपनों को नई उड़ान मिलनी शुरू हुई।

पटना जिले के अथमलगोला प्रखंड के लहरिया टोला की रहने वाली पूनम कुमारी पिछले सात सालों से भेड़ से करीब 21 तरह के उत्पाद बना रही हैं। इसमें कंबल, डोरमैट, तकिया, माउथ मास्क समेत अन्य उत्पाद शामिल हैं। इसके साथ ही वह गोबर के उपले समेत अन्य तरह के उत्पाद तैयार कर रही हैं। वह सालाना बीस लाख से अधिक कमा रही हैं। वह दूसरे लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

भेड़ ( Sheep) के बाल खरीदती हैं

पूनम कुमारी बताती हैं कि ऊन के उत्पाद बनाने के लिए वह किसानों ( Farmer ) से बाल भी खरीदती हैं। बालों की गुणवत्ता के आधार पर वह कीमत तय करती हैं। वह पांच रुपये से लेकर बीस रुपये प्रति किलो तक बाल खरीदती हैं। वह आगे बताती हैं कि बिहार में जो लोग भेड़ पाल रहे हैं, उनकी कीमत पांच रुपये प्रति किलो तक ही है।

ऐसा इसलिए क्योंकि उनके बालों में उस तरह की गुणवत्ता नहीं होती। जबकि महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश से जो बाल खरीदे जाते हैं, उन किसानों से बीस रुपये प्रति किलो तक बाल खरीदे जाते हैं। अगर बिहार सरकार भेड़ पालन पर बेहतर काम करे, तो बाहर जो पैसा दिया जा रहा है, वह राज्य के लोगों के पास जाएगा।

भेड़ पालन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए

महिला उद्यमी पूनम का कहना है कि जिस तरह से सरकार ने बकरी पालन के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, अगर उसी तरह से भेड़ पालन ( Sheep Farming ) के क्षेत्र में काम किया जाए तो सरकार के साथ-साथ किसानों को भी चार तरह से इसका फायदा हो सकता है |

भेड़ के बालों के बदले किसानों को पैसे मिलेंगे | बालों से बने उत्पादों की फैक्ट्री लगेगी, मांस और गोबर से जैविक खाद का बेहतर बाजार बनेगा, क्योंकि बिहार में कोई फैक्ट्री नहीं होने की वजह से हमें बाहर से मदद लेनी पड़ती है |

Sheep Wool Business

पूनम कहती हैं कि बालों से धागा बनाना हो या कंबल, इसे बनवाने के लिए हमें गुजरात, महाराष्ट्र समेत दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो काफी महंगा काम है ! एक कंबल की कीमत करीब 4500 से 6000 रुपये तक होती है |

अगर ये सारी सुविधाएं बिहार में होतीं तो लागत 1500 रुपये से भी कम होती ! पूनम सरकार से अपील करती हैं कि बिहार में भी ऐसे काम शुरू किए जाएं, जिससे किसानों की आमदनी बढ़े |

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नमस्ते ! मेरा नाम शिवम वर्मा है। ग्रेजुएट किया हु ! मुझे लेखन के क्षेत्र में 1 साल का अनुभव है | पिछले 1 साल से इस वेबसाइट पर अपनी सेवाएं दे रहा हु | मै योजना, पर्सनल फाइनेंस, ऑटो से सम्बंधित आर्टिकल्स लिखता हु | For Feedback - [email protected]

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